उस वाकये को हुए तकरीबन हफ़्ता भर हो गया . गणेश अब मधुरानी को जहाँ तक हो सका टालने लग गया था कभी भूले से उनका सामना हो जाता तो गणेश में नज़रें उठा कर उसे देखने की हिम्मत भी न थी. एक बार सामना होने पर उसने उसको देखा तो उसे अहसास हुआ मानों वह गुस्से में लाल पीली हो उसे घूर रही है .
गणेश बेचैन हो उठा
कहीं वह मुझसे उस दिन वाली बात को ले कर नाराज़ तो नहीं ?
या फिर इसलिए नाराज़ है कि मैं उसको टालता हूँ ? ...
कुछ पता नहीं चलता....
ग़लती मेरी ही थी मैं भावनावश हो कर उससे यह सब कर बैठा...
लेकिन वह भी तो इशारे पर इशारे दिए जा रही थी...
जो भी हो मुझे उससे माफी माँगनी चाहिए ...
परंतु कैसे ?
कहीं उसे कोई ग़लतफहमी न हो जाए और कहीं मेरी लोगों के सामने बेइज़्ज़ती न कर दे....
उससे माफी शायद अकेले में ही माँगना उचित होगा "
आज सुबह गणेश की देर से आँखें खुलीं उसने घड़ी में देखा
यह क्या .... सुबह के दस बज रहे हैं
उसे कुछ शोर सुनाई दिया
कहीं यह गूँगा - गूँगी वाला कांड तो नही हो गया
तुरंत वह कपड़े बदल कर बाहर जाने को तैयार हुआ उसे लगा कि वह थोड़ा रुक कर मुँह हाथ धो कर कुल्ला कर बाहर जाए लेकिन बाहर का शोर बढ़ता ही जा रहा था
" वापस आ कर ही मुँह हाथ धोता हूँ"
सोच कर वह निकला
" बात कुछ ज़्यादा ही गंभीर है"
वह ताला लगाए बगैर ही बाहर चला आया.
क्रमशः ..
Original Novel by Sunil Doiphode
Hindi Version by Chinmay Deshpande
गणेश बेचैन हो उठा
कहीं वह मुझसे उस दिन वाली बात को ले कर नाराज़ तो नहीं ?
या फिर इसलिए नाराज़ है कि मैं उसको टालता हूँ ? ...
कुछ पता नहीं चलता....
ग़लती मेरी ही थी मैं भावनावश हो कर उससे यह सब कर बैठा...
लेकिन वह भी तो इशारे पर इशारे दिए जा रही थी...
जो भी हो मुझे उससे माफी माँगनी चाहिए ...
परंतु कैसे ?
कहीं उसे कोई ग़लतफहमी न हो जाए और कहीं मेरी लोगों के सामने बेइज़्ज़ती न कर दे....
उससे माफी शायद अकेले में ही माँगना उचित होगा "
आज सुबह गणेश की देर से आँखें खुलीं उसने घड़ी में देखा
यह क्या .... सुबह के दस बज रहे हैं
उसे कुछ शोर सुनाई दिया
कहीं यह गूँगा - गूँगी वाला कांड तो नही हो गया
तुरंत वह कपड़े बदल कर बाहर जाने को तैयार हुआ उसे लगा कि वह थोड़ा रुक कर मुँह हाथ धो कर कुल्ला कर बाहर जाए लेकिन बाहर का शोर बढ़ता ही जा रहा था
" वापस आ कर ही मुँह हाथ धोता हूँ"
सोच कर वह निकला
" बात कुछ ज़्यादा ही गंभीर है"
वह ताला लगाए बगैर ही बाहर चला आया.
क्रमशः ..
Original Novel by Sunil Doiphode
Hindi Version by Chinmay Deshpande
No comments:
Post a Comment