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Chapter 1 - मृगजल - Romantic, Drama Psychological Thriller हिंदी उपन्यास

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आज राजेश की शादी का रिसेप्शन था . राजेश ने रिसेप्शन के लिए शहर की आबादी से थोड़ी ही दूर और हरियाली से भरपूर एक पार्टी लॉन चुना था. रिसेप्शन के मौके पर राजेश के कॉलेज के तकरीबन सभी दोस्त आए थे और वह सब एक झुंड में खड़े हो कर कॉलेज के जमाने की यादें ताज़ा कर रहे थे. उसी वक़्त पार्टी लॉन के दरवाज़े से उन्हे प्रिया आती हुई दिखाई दी और उस झुंड में सन्नाटा छा गया. सब साँसे रोके प्रिया की खूबसूरती निहार रहे थे . यक़ीनन तब की और आज की प्रिया में ज़मीन आसमान का फ़र्क नज़र आ रहा था . तब वह कॉलेज में जाने वाली एक आम सी लड़की थी जिसने हाल ही में जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा भर था और आज तो वह जवानी से भरपूर एक चंचल शोख हसीना नज़र आ रही थी. शायद इतना सजा धजा उसको पहले किसी ने देखा न होगा इसलिए यह फ़र्क साफ नज़र आ रहा था. उस झुंड में शामिल सब की नज़रें उस पर टिकी हुई थीं. उसने हल्के से मुस्कुराते हुए उन सब पर नज़रें डाली. उस टोली के पास जाते ही साथ उसने फूलों का गुलदस्ता राजेश को पकड़ाते हुए मुबारकबाद दी

"कंग्रॅजुलेशन्स एंड विश यू अ हॅपी एंड प्रॉस्परस मॅरीड लाइफ"

"हॅपी से ज़्यादा प्रॉस्परस होना मायने रखता है इन साहब के लिए " किसी ने कॉमेंट मारा और इतनी देर शांत खड़े झुंड में ठहाके गूँज उठे. राजेश ने अपनी बीवी को प्रिया से मिलवाया

"प्रिया...इससे मिलो ये कमल...मेरी पत्नी"

" जाहिर है , यह बताने की क्या ज़रूरत ...वैसे सिर्फ़ नाम ही कहते तो काफ़ी था नहीं?" प्रिया ने मजाकिया लहज़े में कहा

उसकी इस चुहल पर बाकी लोग भी दिल खोल कर हँसे

"अरे नही प्रिया....यकीन मानो जान पहचान करवाना भी ज़रूरी है तुम जानती हो .....मेरे एक दोस्त के रिसेप्शन में उसकी बीवी और साली साथ ही खड़े थे , मेरे दोस्त ने भी अपनी बीवी को किसी से मिलवाने की ज़रूरत नही समझी और हम उस फंक्शन के दौरान उसकी साली को ही उसकी बीवी समझ रहे थे" दोबारा सब लोग हंस पड़े.

"भाई देख लो , किसी दोस्त के रिसेप्शन का किस्सा सुना कर ये साहब कहीं अपनी बात तो नही कर रहे न?" किसी ने कॉमेंट मारा और फिर एक बार हँसी के फव्वारे फूट पड़े.

"इनसे मिलो" राजेश ने अपनी बीवी को प्रिया का परिचय देते हुए कहा "ये मेरी दोस्त प्रिया...मैं ये और विजय...ह्म तीनों का कॉलेज के ज़माने में बढ़िया गुट था.

"देखो देखो , कहीं कोई ग़लतफहमी न हो जाए इसलिए कितनी चालाकी से यह साहब विजय का नाम बीच में डाल रहे हैं.." किसी और ने कॉमेंट मारा दोबारा हँसी ठहाकों का दौर चला.

राजेश की बीवी कमल का उतरा हुआ चेहरा देख कर उसी दोस्त ने सफाई दी "अरे भाभीजी मैं तो मज़ाक कर रहा था आप तो बिलावजह सीरियस हो गईं "

"वैसे भाभी जी, प्रिया और विजय के बारे में मैं यकीन के साथ कुछ नही कह सकता" उसी दोस्त के यह लफ्ज़ सुन प्रिया शर्मा सी गयी.

"देखो देखो.. विजय का नाम लेते ही इसके गालों पर कैसे सुर्खी छा गयी" दूसरे एक दोस्त ने मज़े लेते कहा .

प्रिया अब भी शर्मा रही थी , उसे कुछ सूझ ही नही रहा था.

"ये विजय कहाँ रह गया?" राजेश ने बात बदलने की कोशिश की.

"जाएगा कहाँ साहब ? बस आता ही होगा आख़िर आपने जो न्योता....अरे ठहरिए जनाब कहीं शादी की गड़बड़ी में आप उन्हें न्योता देना भूल तो नहीं गये?" कोई और बोला.

"अरे नही भई..ही ईज़ माइ बेस्ट फ्रेंड...ऐसा कहीं हो सकता है भला?" राजेश ने जवाब देते कहा.

थोड़ा वक्त खामोशी में गुज़रा.

"क्यों यार हनिमून वग़ैरह का कुछ प्लान बनाया की नही?" एक दोस्त ने राजेश को चिढ़ाते पूछा.

"हां भई प्लान तो बिल्कुल बनाया है" "है कि नही?" राजेश अपनी बीवी कमल को कनखियों से से देखते हुए बोला.

कमल ने शर्मा कर गर्दन झुका ली.

"ज़रा हम भी तो सुनें कि कहाँ जाने का प्लान बनाया हमारे साहब ने " वह दोस्त राजेश को छोड़ने के मूड में नही था.

"शिमला" राजेश ने जवाब दिया.

" लानत है यार !! शिमला में?... मुझे तो लगा तुम हमारी भाभी को कहीं विदेश की सैर कराओगे " दोस्त ने मुँह बिचका कर कहा .

"अरे भई विदेश जाने के लिए काफ़ी वक़्त लगता है... तुम नही समझोगे इन बातों को ये साहब तो न जाने कब से बेसब्र हो रहे हैं" दूसरे दोस्त ने समझाते कहा.

"एक्सक्यूस मी" प्रिया ने कहा , दरअसल बातों का रुख़ दूसरी ओर मुड़ता देख प्रिया वहाँ से दूसरी ओर चली गयी.

contd ...


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