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Hindi Books - Black Hole CH-27 और एक पत्थर

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Interesting quotes -

Minds are like parachutes. They only function when they are open.

--- Sir James Dewar, Scientist (1877-1925)


जाकोब 'C' लेव्हलकी पथरीली गुंफामें एक कुंएके पास एक पत्थरपर बैठा था. उसके बाजुमें कागजादोंका एक बंडल पडा हूवा था और कुछ कागजाद फैले हूए थे. जाकोबके हाथमें एक पत्थरका टूकडा था जिसकी तरफ वह ध्यान देकर बडी गौरसे देख रहा था. वह अब उसके हाथमें जो पत्थरका टूकडा था उसे दुसरे एक पत्थरके टूकडेसे तोडने लगा. जब वह एक पत्थरका टूकडा दुसरे पत्थरपर मार रहा था तब उससे चिंगारीयां निकल रही थी. काफी समयतक वह एकाग्रतासे वे दोनो पत्थरके टूकडे एक दूसरेपर मार रहा था. अचानक वह अपनी एकाग्रतासे बाहर आगया और घबराया हूवा स्टेलाको इधर उधर ढूंढने लगा. जब स्टेला उसे दिखी तब कहा उसे चैन आगया.

स्टेला 'C2'कुंएके किनारे खडी थी. वह कुंआ जाकोब जहां अपना काम कर रहा था, वहांसे नजदीकही था. लेकिन बिचमें एक बडा पत्थर था. वह बिच बिचमें अपने हाथमें पकडे कागजाद देखकर उसका कुछ संदर्भ ले रही थी. इतनेमें उसे कुंएके किनारेपर एक पत्थरको कुछ चिपका हूवा दिखाई दिया. उसने करीब जाकर देखा तो वह कपडेके कुछ धागे थे.

इतनेमें उसे पिछेसे जाकोबका आवाज आ गया, '' हे... क्या कर रही हो ?''

'' कुछ नही '' स्टेलाने कहा.

'' देखो ... अभी अभी काम करते हूए मेरी टूलकिट इस कुंएमें गिर गई है ........ प्लीज वह मुझे ला दोगी ?'' जाकोबने पुछा.

'' हां अभी आयी '' उसने कहा.

स्टेला जब उसके पास गई तब जाकोबने उसे कहा, "" टूलकीट तो तुमने देखीही है ना... वह एक छोटा लाल रंगका बक्सा है ''

'' हां .. मुझे मालूम है '' स्टेलाने कहा और वह 'C3' कुएके किनारेपर गई, जिसमें जाकोबकी टूलकीट गिरी थी. दो कदम पिछे चलकर झटसे उसने उस कुंएमें छलांग लगाई. अब उसे ब्लॅकहोलमें छलांग लगानेकी अच्छी खांसी आदत हो चूकी दिखाई दे रही थी.

जाकोबको गुंफामें दुर एक जगह जमिनपर कुछ चमकता हूवा दिखाई दिया. जाकोब अपने हाथसे वह पत्थर बाजू रखते हूए वहांसे उठ गया. और धीरे धीरे उस चमकती हूई चिजकी तरफ बढने लगा. उस चिजके पास जातेही उसने अपने टॉर्चकी रोशनी उसपर डाली. उसका चेहरा खुशीसे खिलने लगा. उसके सामने जमिनपर पडा हूवा वह एक पारदर्शक पत्थर था. ... हुबहु उसके कलाईपर बंधे पत्थर जैसा. उसने वह पत्थर उठाया. उसके चेहरेपर मुस्कुराहट दिखने लगी थी. उसने वह पत्थर अपने कलाईपर बंधे पत्थरके नजदीक ले जाकर उसके साथ मिलाकर देखा.

'' माय गॉड! ... कितना सुंदर है यह पत्थर !'' मानो वह खुदसेही कह उठा.

'' अबतक तुम अकेलेही थे... देखो अब तुम्हारे लिए और एक साथी आ गया है .'' वह मानो उसके कलाईपर बंधे पत्थरसे बाते कर रहा था.

इतनेमें जाकोबके पिछेसे एक हात आकार जाकोबके कंधेपर टीक गया. हडबडाकर जाकोबने दोनो पत्थर अपने पिछे छुपाकर पलटकर देखा.

'' ये लो मैने तुम्हारी टूलकीट लाई है '' वह स्टेला थी.

स्टेलाको सामने देखकर जाकोबने राहतकी सांस ली.

'' ओह ... थॅंक यू... मुझे लगा... तूमने सममुछ मुझे डराही दिया... '' जाकोबने कहा.

स्टेलाने उसकी टूलकीट उसे वापस दी.

'' यह देखो मुझे और एक पत्थर मिला है '' जाकोबने अपनी पत्थर रखी हूई मुठठी स्टेलाके सामने खोली.

स्टेलाने वह पत्थर उठाकर अपने हाथेलीमें लिया और वह उसके तरफ एकदम नजदिकसे, गौरसे देखने लगी.

'' सचमुछ कितना खुबसुरत है ! '' स्टेलाने कहा.

स्टेलाने उस पत्थरको अपनी मुठ्ठीमें बंद किया और 'C2'कुंएकी तरफ जाते हूए जाकोबसे कहा, ''थोडी देर मेरे पास रहने दो इसे ''

'' थोडी देर क्यों ... हमेशाके लिएही रहने दो... तुम्हारे कलाईपर बांधो उसे... '' जाकोबने सुझाव दिया.

स्टेला जाते हूए रुक गई और खुशीसे उछलती हूई बोली, '' ओह.. थॅंक यू .. थॅंक यू सो मच''

जाकोबने उसके तरफ देखकर मिठीसी मुस्कान बिखेर दी.

स्टेलाने उस पत्थरकी तरफ मुठ्ठी खोलकर फिरसे एक बार देखा और वह उस कुंएकी तरफ जाने लगी. जाकोब प्रेमभरी दृष्टीसे उसे जाता हूवा देखता रहा.

'' सुनो '' जाकोबने कहा.

स्टेला रुककर फिरसे उसकी तरफ मुडकर देखने लगी.

'' अपना खयाल रखना... जिस ब्लॅकहोलमें तुम पहले कभी ना गई हो ऐसे ब्लॅकहोलमें मत जाना...'' जाकोब उसे किसी अपनेकी तरह हिदायत दे रहा था.

'' हां ...ठिक है '' स्टेलाने प्रतिउत्तर दिया.


क्रमश:...


Interesting quotes -

Minds are like parachutes. They only function when they are open.

--- Sir James Dewar, Scientist (1877-1925)


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