उपन्यास - अद्-भूत The horror, suspense, thriller [Email this] English Version-> [Aghast]
उपन्यास - शून्य The suspense, thriller [Email this] English Version->[Zero]
उपन्यास - ब्लैकहोल The Mystery, horror, suspense Email this English Version->[Black Hole]
उपन्यास - ई लव्ह The suspense, thriller Email this English Version->[eLove]
उपन्यास -मधुराणी Story of a femine power [Email this] English Version-> [Honey]
उपन्यास - मृगजल The psychological suspense, thriller Email this

Ch-9A : पहली गलती ? ... (शून्य-उपन्यास)

Next Chapter Previous Chapter

This Novel in English

Hindi Suspense thriller Novel



SocialTwist Tell-a-Friend
कमांड1 और कमांड2 कुर्सीपर सुस्ता रहे थे. बॉसने उनको जो काम सौंपा था वह उन्होने अच्छी तरह से निभाया था. इसलिए वे खुश लग रहे थे. उनकी पुरी रात दौडधूपमें गई थी. बैठे बैठे कमांड1को निंदभी आ रही थी. उसके सामने रातका एक एक वाक्या किसी चलचित्रकी तरह आ रहा था...


... रातके 3-3.15 बजे होगे. बाहर कडाके की ठंड थी. इधर उधर देखते हूए बडी सावधानीसे कमांड1 और कमांड2 एक अपार्टमेंटमें घुस गए. आपर्टमेंटमें सब तरफ एक तरह की डरावना सन्नाटा फैला हूवा था. वहा जो भी सेक्यूरीटी तैनात थी, उसका उन्होने पहलेसेही बंदोबस्त करके रखा था. तोभी वे बडी सावधानी बरतते हूए, अपने कदमोंका आवाज ना हो इसका खयाल रखते हूए लिफ्टके पास गए. चारो तरफ अपनी पैनी नजर दौडाते हूए कमांड1ने धीरेसे लिफ्टका बटन दबाया. लिफ्ट खुलतेही आजूबाजू देखते हूए कमांड1 और कमांड2 दोनो लिफ्टमें घुस गए. दोनोंने हाथमें सफेद सॉक्स पहने हूए थे. अपना चेहरा किसीकोभी दिखना नही चाहिए इसलिए उन्होने अपने पहने हूए ओव्हरकोटकी कॉलर खडी की थी. लिफ्टका दरवाजा बंद हूवा कमांड1ने सामने जाकर लिफ्टका बटन दबाया, जिसपर लिखा हूवा था -10.


लिफ्ट दसवे मालेपर आकर रुकी. लिफ्ट का दरवाजा अपने आप खुला. कमांड1 और कमांड2 फिरसे इधर उधर देखते हूए धीरेसे बाहर आ गए. कोई देख नही रहा है इसकी तसल्ली कर वे पॅसेजमें चलने लगे. उनके जूते के तलवेमे मुलायम रबर लगाया होता, क्योंकी वे भलेही तेजीसे चल रहे थे लेकीन उनके जुतोंका बिलकुल आवाज नही आ रहा था. वे 103 नंबरके फ्लॅटके सामने आकर रुके. फिरसे दोनोंने अपनी नजर आजूबाजू दौडाई, कोई नही था. अपने ओव्हरकोटके जेबसे कुछ निकालकर कमांड1ने सामने दरवाजे के की होलमे डालकर घुमाया. बस दो तिन झटके देकर घुमाया और दरवाजेके हॅडलको हलकासा झटका देकर निचे दबाया, दरवाजा खुल गया. दोनोंके चेहरे खुशीसे खिल गए. अंदर घना अंधेरा था.


दोनो धीरेसे फ्लॅटके अंदर घुस गए. उन्होने अपने हाथके सॉक्स निकालकर अपने ओव्हरकोटके जेबमें रख दिए. सॉक्सके अंदर उनके हाथमें रबरके हॅन्डग्लोव्हज पहने हूए थे. उन्होने धीरेसे आवाज ना हो इसकी खबरदारी लेते हूए दरवाजा अंदरसे बंद कर लिया.

हॉलमे अंधेरेमें कमांड1 और कमांड2 जैसे छटपटा रहे थे. अंधेरेमें उन्होने बेडरूमकी तरफ जानेवाले रस्तेका अंदाजा लगाया और वे उस दिशामें चलने लगे. अचानक कमांड1 बिचमें रखे हूए टी पॉयसे टकराया गिरते गिरते उसने बाजूमें रखे एक चिजको पकड लिया और खुदको गिरनेसे बचाया. कमांड2नेभी उसे गिरनेसे बचानेके लिए सहारा दिया. वो गिरनेसे तो बच गया लेकिन दुर्भाग्यसे बगलमें रखे एक गोल कांच के पेपर वेटको उसका धक्का लगा, जिसकी वजहसे वह पेपरवेट लुढकने लगा. कमांड1ने पेपरवेटको बडी चपलतासे पकड लिया और फिरसे उसकी पहली जगहपर रख दिया.

'' अरे यार लायटर लगा ... साला यहां कुछभी नही दिख रहा है....'' कमांड1 दबे स्वरमें लेकिन चिढकर बोला.

कमांड2ने अपने जेबसे लायटर निकालकर जलाया. अब धुंदले प्रकाशमें थोडाबहुत दिखने लगा था. उनके सामनेही एक खुला हुवा दरवाजा था.

बेडरूम इधरही होना चाहिए.....

कमांड1ने सोचा. कमांड1 धीरे धीरे उस दरवाजेकी तरफ बढने लगा. उसके पिछे पिछे कमांड2 चल रहा था. दरवाजेसे अंदर जानेके बाद अंदर उनको बेडपर लिटी हुई कोई आकृती दिखाई दी. कमांड1ने मुंहपर उंगली रख कमांड2को बिलकुल आवाज ना करने की हिदायत दी. कमांड1ने अंधेरेमें टटोलकर बेडरूमका बल्ब जलाया. जो भी कोई लेटा हुवा था शायद घोडे बेचकर सो रहा था, क्योंकी उसके शरीरमें कुछ भी हरकत नही थी. कौन होगा यह जाननेके लिए कोई रास्ता नही था क्योंकी उसने अपने सरको चादरसे ढक लिया था. कमांड1 ने अपने ओवरकोटकी जेबसे बंदूक निकाली. सोये हूए आकृतीपर उसने वह बंदूक तानकर उसके चेहरेपरसे चादर हटाई. वह एक सुंदर स्त्री थी. वह शायद वही थी जो उनको चाहिए थी क्योंकी एक पलकाभी अवकाश ना लेते हूए कमांड1 ने सायलेंसर लगाई बंदुकसे उसपर गोलीयोंकी बौछार कर दी. उसके शरीर में हरकत हूई, लेकीन वह सिर्फ मरनेके पहलेकी छटपटाहट थी. फिरसे उसका शरीर ढीला होकर एक तरफ लूढक गया. निंदसे जगनेकीभी मोहलत कमांड1ने उसको नही दी थी. वह खुनसे लथपथ निश्चल अवस्थामें मरी हूई पडी थी.

" ए, तेरे पासका खंजर देना जरा'' कमांड1 कमांड2को फरमान दिया.

अबतक का उसका दबा स्वर एकदम कडा हो गया था. कमांड2 ने उसके ओवरकोटके जेबसे चाकू निकालकर कमांड1के हाथमें दिया. कमांड1 वह खंजर मुर्देके खुनसे भिगोकर दिवारपर लिखने लगा.
... to be contd...

This Novel in English

Next Chapter Previous Chapter

No comments:

Post a Comment