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Hindi Novel - अद्-भूत : Ch-12 : पिछा

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शामका समय था. अपनी शॉपींगसे लदी हूई बॅग संभालती हूई नॅन्सी फुटपाथसे जा रही थी. वैसे अब खरीदनेका कुछ खास नही बचा था. सिर्फ एक-दो चिजे खरीदनेकी बची थी.

वह चिजे खरीद ली की फिर घरही वापस जाना है...

वह बची हूई एक-दो चिजे लेकर जब वापस जानेके लिए निकली तब लगभग अंधेरा होनेको आया था और रास्तेपरभी बहुत कम लोग बचे थे. चलते चलते नॅन्सीके अचानक खयालमें आया की बहुत देरसे कोई उसका पिछा कर रहा है. उसकी पिछे मुडकर देखनेकी हिम्मत नही बन रही थी. वह वैसेही चलती रही. फिरभी उसका पिछा जारी है इसका उसे एहसास हूवा. अब वह घबरा गई. पिछे मुडकर ना देखते हूए वह वैसेही जोरसे आगे चलने लगी.

इतनेमे उसे पिछेसे आवाज आया , '' नॅन्सी ''

वह एक पल रुकी और फिर चलने लगी.

पिछेसे फिरसे आवाज आया, '' नॅन्सी ...''.

आवाजके लहजेसे नही लग रहा था की पिछा करने वाले का कोई गलत इरादा हो. नॅन्सीने चलते चलतेही पिछे मुडकर देखा. पिछे जॉनको देखतेही वह रुक गई. उसके चेहरेपर परेशानीके भाव भाव दिखने लगे.

यह इधरभी ..

अबतो सर पटकनेकी नौबत आई है...

वह एक बडा फुलोंका गुलदस्ता लेकर उसके पास आ रहा था. वह देखकर तो उसे एक क्षण लगाभी की सचमुछ अपना सर पटक ले. वह जॉन उसके नजदिक आनेतक रुक गई.

'' क्यो तुम मेरा लगातार पिछा कर रहे हो ?'' नॅन्सी नाराजगी जताते हूए गुस्सेसे बोली.

'' मुझपर एक एहसान करदो और भगवानके लिए मेरा पिछा करना छोड दो '' वह गुस्सेसे हाथ जोडते हूए, उसका पिछा छूडा लेनेके अविर्भावमें बोली.

गुस्सेसे वह पलट गई और फिरसे आगे पैर पटकती हूई चलने लगी. जॉनभी बिचमें थोडा फासला रखते हूए उसके पिछे पिछे चलने लगा.

जॉन फिरसे पिछा कर रहा है यह पता चलतेही वह गुस्सेसे रुक गई.

जॉनने अपनी हिम्मत बटोरकर वह फुलोंका गुलदस्ता उसके सामने पकडा और कहा, '' आय ऍम सॉरी...''

नॅन्सी गुस्सेसे तिलमिलाई. उसे क्या बोले कुछ सुझ नही रहा था. जॉनकोभी आगे क्या बोले कुछ समझ नही रहा था.

'' आय स्वीअर, आय मीन इट'' वह अपने गलेको हाथ लगाकर बोला.

नॅन्सी गुस्सेमेतो थी ही, उसने झटकेसे अपने चेहरेपर आ रही बालोंकी लटे एक तरफ हटाई. जॉनको लगा की वह फिरसे एक जोरदार तमाचा अपने गालपर जडने वाली है. डरके मारे अपनी आंखे बंद कर उसने झटसे अपना चेहरा पिछे हटाया.

उसकेभी यह खयालमें आया और वह अपनी हंसी रोक नही सकी. उसका वह डरा हूवा सहमा हूवा बच्चोके जैसा मासूम चेहरा देखकर वह खिलखिलाकर हंस पडी. उसका गुस्सा कबका रफ्फु चक्कर हो गया था. जॉनने आंखे खोलकर देखा. तबतक वह फिरसे रास्तेपर आगे चल पडी थी. थोडी देर चलनेके बाद एक मोडपर मुडनेसे पहले नॅन्सी रुक गई, उसने पिछे मुडकर जॉनकी तरफ देखा. एक नटखट मुस्कुराहटसे उसका चेहरा खिल गया था. गडबडाए हूए हालमें, संभ्रममे खडा जॉनभी उसकी तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुराया. वह फिरसे आगे चलते हूए उस मोडपर मुडकर उसके नजरोंसे ओझल हो गई. भले ही वह उसके नजरोंसे ओझल हूई थी, फिरभी जॉन खडा होकर उधर मंत्रमुग्ध होकर देख रहा था. उसे रह रहकर उसकी वह नटखट मुस्कुराहट याद आ रही थी.

वह सचमुछ मुस्कुराई थी या मुझे वैसा आभास हूवा ....

नही नही आभास कैसे होगा ...

यह सच है की वहं मुस्कुराई थी ...

वह मुस्कुराई इसका मतलब उसने मुझे माफ किया ऐसा समझना चाहिए क्या? ...

हां वैसा समझनेमें कोई दिक्कत नही...

लेकिन उसका वह मुस्कुराना कोई मामूली मुस्कुराना नही था...

उसके उस मुस्कुराहटमें औरभी कुछ गुढ अर्थ छिपा हूवा था...

क्या था वह अर्थ?...

जॉन वह अर्थ समझनेकी कोशीश करने लगा. और जैसे जैसे वह अर्थ उसके समझमें आ रहा था उसकेभी चेहरेपर वही, वैसीही मुस्कुराहट फैलने लगी.


क्रमश:...

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Hindi Novel - अद्-भूत : Ch-11 : बदतमिज

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क्लास चल रहा था. क्लासमें जॉन और उसके दो दोस्त पास-पास बैठे थे. जॉनका खयाल बिलकुल क्लासमें नही था. वह बेचैन लग रहा था और अस्वस्थतासे क्लास खतम होने की राह देख रहा था. उसने एकबार पुरे क्लासपर अपनी नजर घुमाई, खासकर नॅन्सीकी तरफ देखा. लेकिन उसका कहा उसकी तरफ ध्यान था? वह तो अपनी नोट्स लेनेमे व्यस्त थी. कल रातका वाक्या याद कर जॉनको फिरसे अपराधी जैसा लगने लगा.

उस बेचारीको क्या लगा होगा ? ...

इतने सारे लोगोंके सामने और मेरीके सामने मैने ...

नही मैने ऐसा नही करना चाहिए था...

लेकिन जोभी हूवा वह गलतीसे हूवा...

मुझे क्या मालूम था की वह चोर ना होकर नॅन्सी थी...

नही मुझे उसकी माफी मांगना चाहिए...

लेकिन कल तो मैने उसकी माफी मांगनेका प्रयास किया था ..

तो उसने धडामसे गुस्सेसे दरवाजा बंद किया था...

नही मुझे वह जबतक माफ नही करती तबतक माफी मांगतेही रहना चाहिए...

उसके दिमागमें विचारोंका तुफान उमड पडा था. इतनेमें पिरियड बेल बजी. शायद ब्रेक हो गया था.

चलो यह अच्छा मौका है ...

उसे माफी मांगनेका ...

वह उठकर उसके पास जानेही वाला था इतनेमें वह लडकियोंकी भिडमें कही गुम होगई थी.

ब्रेककी वजहसे कॉलेजके गलियारेमें स्टूडंट्स की भिड जमा हो गई थी. छोटे छोटे समूह बनाकर गप्पे मारते हूए स्टूडंट्स सब तरफ फैल गए थे. और उस भिडसे रास्ता निकालते हूए जॉन और उसके दो दोस्त उस भिडमें नॅन्सीको ढूंढ रहे थे.

कहा गई?...

अभी तो लडकियोंकी भिडमें क्लाससे बाहर जाते हूए दिखी थी... .

वे तिनो इधर उधर देखते हूए उसे ढूंढनेकी कोशीश करने लगे. आखिर एक जगह कोनेमें उन्हे अपने दोस्तोंके साथ बाते करती हूइ नॅन्सी दिख गई.

''चलो मेरे साथ... '' जॉनने अपने दोस्तो से कहा.

'' हम किसलिए ... हम यही रुकते है ... तुम ही जावो.. '' उसके दोस्तोमेंसे एक बोला.

'' अबे... साथ तो चलो '' जॉन उनको लगभग पकडकर नॅन्सीके पास ले गया.

जब जॉन और उसके दोस्त उसके पास गए तब उसका खयाल इन लोगोंकी तरफ नही था. वह अपनी गप्पे मारनेमें मशगुल थी. नॅन्सीने गप्पे मारते हूए एक नजर उनपर डाली और उनकी तरफ ध्यान ना देते हूए अपनी बातोंमेही व्यस्त रही. जॉनने उसके और पास जाकर उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षीत करनेका प्रयास किया. लेकिन बार बार वह उनकी तरफ ध्यान ना देते हूए उन्हे टालनेका प्रयास कर रही थी. उधर उनसे काफी दूर ऍन्थोनी गलियारेसे जारहा था वह जॉनकी तरफ देखकर मुस्कुराया और उसने अपना अंगूठा दिखाकर उसे बेस्ट लक विश किया.

'' नॅन्सी ... आय ऍम सॉरी'' जॉनको इतने लडको लडकियोंकी भिडमें शर्मभी आ रही थी. फिरभी ढांढस बांधते हूए उसने कहा.

नॅन्सीने एक कॅजूअल नजर उसपर डाली.

जॉनकी गडबडी हूइ दशा देखकर उसके दोस्तोने अब सिच्यूएशन अपने हाथमे ली.

'' ऍक्च्यूअली हम एक चोरको पकडनेकी कोशीश कर रहे थे. '' एक दोस्तने कहा.

'' हां ना ... वह रोज होस्टेलमें चोरी कर रहा था. '' दुसरे दोस्त ने कहा.

जॉन अब अपनी गडबडीभरी दशासे काफी उभर गया था. उसने फिरसे हिम्मत कर अपनी रट जारी रखी, , '' नॅन्सी ... आय ऍम सॉरी ... आय रियली डीडन्ट मीन इट... मै तो उस चोरको पकडनेकी ... .''

जॉन हाथोके अलग अलग इशारोंसे अपने भाव व्यक्त करनेकी कोशीश कर रहा था. वह क्या बोल रहा था और क्या इशारे कर रहा था उसका उसकोही समझ नही आ रहा था. आखिर वह एक हाव-भावके पोजीशनमें रुका. जब वह रुका तब उसके खयालमें आया की, भलेही स्पर्ष ना कर रहे हो, लेकिन उसके दोनो हाथ फिरसे नॅन्सीके उरोजोंके आसपास थे. वह नॅन्सीकेभी खयालमें आया. उसने झटसे अपने हाथ पिछे खिंच लिए. उसने गुस्सेसे भरा एक कटाक्ष उसके उपर डाला और फिरसे एक जोरका चांटा उसके गालपर जडकर चिढकर बोली, '' बद्तमीज''

इसके पहलेकी जॉन फिरसे संभलकर कुछ बोले वह गुस्सेसे पैर पटकाती हूई वहांसे चली गई थी. जब वह होशमें आया वह दूर जा चूकी थी और जॉन अपना गाल सहलाते हूए वहां खडा था.


क्रमश:...

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Hindi Novel - अद्-भूत : Ch-10 : आय ऍम सॉरी

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रातको होस्टेलके गलियारेमें घना अंधेरा था. गलियारेके लाईट्स या तो किसीने चोरी किये होंगे या लडकोने तोड दिए होंगे. एक काला साया धीरे धीरे उस गलियारेमे चल रहा था. और वहासे थोडीही दुरीपर जॉन, ऍन्थोनी और उसके दो दोस्त एक खंबेके पिछे छुपकर बैठे थे. उन्होने पक्का फैसला किया था की आज किसीभी हालमें इस चोरको पकडकर होस्टेलकी लगभग रोज होनेवाली चोरीयां रोकनी है. काफी समयसे वे वहां छिपकर चोरकी राह देख रहे थे. आखिर वह साया उन्हे दिखतेही उनके चेहरेपर खुशी की लहर दौड गई.

चलो इतने देरसे रुके... आखिर मेहनत रंग लाई...

खुशीके मारे उनमें खुसुर फुसुर होने लगी.

'' ए चूप रहो... यही अच्छा मौका है ... सालेको रंगे हाथ पकडनेका '' जॉनने सबको चूप रहनेकी हिदायत दी.

वे वहांसे छिपते हूए सामने जाकर एक दुसरे खंबेके पिछे छूप गए.

उन्होने चोरको पकडनेकी पुरी प्लॅनींग और तैयारी कर रखी थी. चारोंने आपसमें काम बांट लिया था. उन चारोंमें एक लडका अपने कंधेपर एक काला ब्लॅंकेट संभाल रहा था.

'' देखो... वह रुक गया ... सालेकी घोंगड रपेटही करेंगे'' जॉन धीरेसे बोला.

वह साया गलियारेमे चलते हूए एक रुमके सामने रुक गया.

'' अरे किसकी रुम है वह ?'' किसीने पुछा.

'' मेरीकी ..'' ऍन्थोनीने धीमे स्वरमे जवाब दिया.

वह काला साया मेरीके दरवाजेके सामने रुका और मेरीके दरवाजेके कीहोलमें अपने पासकी चाबी डालकर घुमाने लगा.

'' देखो उसके पास चाबीभी है '' कोई फुसफुसाया.

'' मास्टर की होगी '' किसीने कहा.

'' या डूप्लीकेट बनाकर ली होगी सालेने ''

'' अब तो वह बिलकुल मुकर नही पाएगा ... हम उसे अब रेड हॅंन्डेड पकड सकते है. '' जॉनने कहा.

जॉन और ऍन्थोनीने पिछे मुडकर उनके दो साथीयोंको इशारा किया.

'' चलो ... यह एकदम सही वक्त है '' ऍन्थोनीने कहा.

वह साया अब ताला खोलनेकी कोशीश करने लगा.

सब लोगोंने एकदम उस काले सायेपर हल्ला बोल दिया. ऍन्थोनीने उस सायेके शरीरपर उसके दोस्तके कंधेपर जो था वह ब्लॅंकेट डालकर लपेट दिया और जॉनने उस सायेको ब्लॅकेटके साथ कसकर पकड लिया.

'' पहले साले को मारो... '' कोई चिल्लाया.

सबलोग मिलकर अब उस चोरकी धुलाई करने लगे.

'' कैसा हाथ आया रे साले ... ''

'' ए साले ... दिखा अब कहां छुपाकर रखा है तुने होस्टेलका सारा चोरी किया हूवा माल''

ब्लॅंकेटके अंदरसे 'आं ऊं' ऐसा दबा हूवा स्वर आने लगा.

अचानक सामनेका दरवाजा खुला और मेरी गडबडाई हूई दरवाजेसे बाहर आगई. शायद उसे उसके रुमके सामने चल रहे धांदलीकी आहट हुई होगी. कमरेमें जल रहे लाईटकी रोशनी अब उस ब्लॅंकेटमें लिपटे चोरके शरीर पर पड गई.

'' क्या चल रहा है यहां '' मेरी घाबराये हूए हालमें हिम्मत बटोरती हूई बोली.

'' हमने चोरको पकडा है '' ऍन्थोनीने कहा.

'' ये तुम्हारा कमरा डूप्लीकेट चाबीसे खोल रहा था. '' जॉनने कहा.

उस चोरको ब्लॅंकेटके साथ पकडे हूए हालमें जॉनको उस चोरके शरीरपर कुछ अजीबसा लगा. धांदलीमें उसने क्या है यह टटोलनेके लिए ब्लॅंकेटके अंदरसे अपने हाथ डाले. जॉनने हाथ अंदर डालनेसे उसकी उस सायेपरकी पकड ढीली हो गई और वह साया ब्लॅंकेटसे बाहर आगया.

'' ओ माय गॉड नॅन्सी! '' मेरी चिल्लाई.

नॅन्सी कोलीन उनकेही क्लासमेंकी एक सुंदर स्टूडंट थी. वह ब्लॅकेटसे बाहर आई और अभीभी असंमजसके स्थितीमें जॉन उसके दोनो उरोज अपने हाथमें कसकर पकडा हूवा था. उसने खुदको छुडा लिया और एक जोर का तमाचा जॉनके कानके निचे जड दिया.

जॉनको क्या बोले कुछ समझमें नही रहा था वह बोला, '' आय ऍम सॉरी .. आय ऍम रियली सॉरी ''

'' वुई आर सॉरी ...'' ऍन्थोनीनेभी कहा.

'' लेकिन इतने रात गए तुम यहां क्या कर रही हो?'' मेरी नॅन्सीके पास जाते हूए बोली.

'' इडीयट ... आय वॉज ट्राईंग टू सरप्राईज यू... तूम्हे जनमदिनकी शुभकामनाएं देने आई थी मै..'' नॅन्सी उसपर चिढते हूए बोली.

'' ओह ... थॅंक यू ... आय मीन सॉरी ... आय मीन आर यू ओके?'' मेरीको क्या बोले कुछ समझ नही आ रहा था.

मेरी नॅन्सीको रुममें ले गई. और जॉन फिरसे माफी मांगनेके लिए रुममे जानेलगा तो दरवाजा उसके मुंहपर धडामसे बंद होगया.


क्रमश:...

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Hindi Novel - अद्-भूत : Ch-9 : कुछ दिन पहले

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पोलिस स्टेशनमें डिटेक्टीव सॅम डिटेक्टीव बेकरके सामने बैठा हूवा था. डिटेक्टीव बेकर इस पुलिस स्टेशनका इंचार्ज था. डिटेक्टीव्ह बेकरका फोन आनेके पश्चात गोल्फका अगला गेम खेलनेकी सॅमकी इच्छाही खत्म हो चूकी थी. अपना सामान इकठ्ठा कर वह ताबडतोड तैयारी कर अपने पुलिस स्टेशनमें जानेके बजाय सिधा इधर निकल आया था. उनका 'हाय हॅलो' - सब फॉर्म्यालिटीज होनेके बाद अब डिटेक्टीव बेकरके पास उसके केसके बारेमें क्या जानकारी है यह सुननेके लिए वह उसके सामने बैठ गया. डिटेक्टीव बेकरने सब जानकारी बतानेके पहले एक बडा पॉज लिया. डिटेक्टीव सॅम भलेही अपने चेहरेपर नही आने दे रहा था फिरभी सब जानकारी सुननेके लिए वह बेताब हो चूका था और उसकी उत्सुकता सातवें आसमानपर पहूंच चूकी थी.

डिटेक्टीव्ह बेकर जानकारी देने लगा -

'' कुछ दिन पहले मेरे पास एक केस आयी थी ........


.... एक सुंदर शांत टाऊन. टाऊनमें हरा भरी घास और हरेभरे पेढ चारो तरफ फैले हूए थे. और उस हरीयालीमें रातमें तारे जैसे आकाशमें समुह-समुहसे चमकते है वैसे छोटे छोटे समुहमें घर इधर उधर फैले हूए थे. उसी हरीयालीमें गावके बिचोबिच एक पुरानी कॉलेजकी बिल्डींग थी.

कॉलजमें गलियारेमें स्टूडंट्स की भिड जमी हूई थी. शायद ब्रेक टाईम होगा. कुछ स्टूडंट्स समुहमें गप्पे मार रहे थे तो कुछ इधर उधर घुम रहे थे. जॉन कार्टर लगभग इक्कीस - बाईस सालका, स्मार्ट हॅंन्डसम कॉलेजका स्टूडंट और उसका दोस्त ऍथोनी क्लार्क - दोनो साथ साथ बाकी स्टूडंट्स के भिडसे रास्ता निकालते हूए चल रहे थे. .

'' ऍंथोनी चलो डॉक्टर अल्बर्टके क्लासमें जाकर बैठते है . बहुत दिन हुए है हमने उसका क्लास अटेंन्ड नही किया है. '' जॉनने कहा.

'' किसके ? डॉक्टर अल्बर्टके क्लासमें ? ... तुम्हारी तबियत तो ठिक है ना ?..'' ऍन्थोनीने आश्चर्यसे पुछा.

'' अरे नही ... मतलब अबतक वह जमा हूवा है या छोडकर गया यह देखकर आते है '' जॉनने कहा.

दोनो एकदूसरेको ताली देते हूए, शायद पहलेका कोई किस्सा याद कर जोरसे हंसने लगे.

चलते हूए अचानक जॉनने ऍन्थोनीको अपनी कोहनी मारते हूए बगलसे जा रहे एक लडके की तरफ उसका ध्यान आकर्षीत करनेका प्रयास किया. ऍन्थोनीने प्रश्नार्थक मुर्दामें जॉनकी तरफ देखा.

जॉन धीमे आवाजमें उसके कानके पास बुदबुदाया '' यही वह लडका... जो आजकल अपने होस्टेलमें चोरीयां कर रहा है ''

तबतक वह लडका उनको क्रॉस होकर आगे निकल गया था. ऍन्थोनीने पिछे मुडकर देखा. होस्टेलमें ऐन्थोनीकीभी कुछ चिजेभी गायब हो चूकी थी.

'' तुम्हे कैसे पता ?'' ऍन्थोनीने पुछा. .

'' उसके तरफ देखतो जरा... कैसा कैसा कसे हूए चोरोंकी खानदानसे लगता है साला.. ' जॉनने कहा.

'' अरे सिर्फ लगनेसे क्या होगा... हमें कुछ सबुतभीतो लगेगा. '' ऍन्थोनीने कहा.

'' मुझे ऍलेक्सभी कह रहा था. ... देर राततक वह भूतोंकी तरह होस्टेलमें सिर्फ घूमता रहता है ''

'' अच्छा ऐसी बात है ... तो फिर चल.. सालेको सिधा करते है.''

'' ऐसा सिधा करेंगे की साला जिंदगी भर याद रखेगा. ''

'' सिर्फ याद ही नही... सालेको बरबादभी करेंगे''

फिरसे दोनोंने कुछ फैसला किये जैसे एकदूसरेकी जोरसे ताली बजाई और फिरसे जोरसे हंसने लगे.


क्रमश:...

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Hindi novel - अद्-भूत : Ch-8 : गोल्फ

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डिटेक्टीव सॅम गोल्फ खेल रहा था. रोजमर्राके तनाव से मुक्तीके लिए यह एक अच्छा खासा उपाय उसने ढूंडा था. उसने एक जोरका शॉट मारनेके बाद बॉल आकाशसे होकर होल की तरफ लपक गया. बॉलने दो तिन बार गिरकर उछला और आखीर होलसे लगभग छे फिटकी दुरीपर लूढकते हूए रुका. सॅम बॉलके पास गया. जमीनके चढाई और ढलानका उसने अंदाजा लिया. बॉलके उपरसे टी घुमाकर उसे कितने जोरसे मारना पडेगा ईसका अनुमान लगाया. और बडी सावधानीसे, सही दिशामें, सही जोर लगाकर उसने हलकेही एक शॉट लगाया और बॉल लूढकते हूए बराबर होलमें जाकर समा गया. डिटेक्टीवके चेहरेपर एक जित की खुशी झलकने लगी. इतनेमें अचानक सॅमका मोबाईल बजा. डिटेक्टीव्हने डिस्प्ले देखा. लेकिन फोन नंबर तो पहचानका नही लग रहा था. उसने एक बटन दबाकर फोन अटेंड किया, ''यस''

'' डिटेक्टीव बेकर हियर'' उधरसे आवाज आया.

'' हा बोलो'' सॅम दुसरे गेमकी तैयारी करते हुए बोला.

'' मेरे जानकारीके हिसाबसे आप हालहीमें चल रहे सिरियल केसके इंचार्च हो ... बराबर?'' उधरसे बेकरने पुछा. .

'' जी हां '' सॅमने सिरीयल किलरका जिक्र होतेही अगला गेम खेलने का विचार त्याग दिया और वह आगे क्या बोलता है यह ध्यानसे सुनने लगा.

'' अगर आपको कोई ऐतराज ना हो ... मतलब अगर आज आप फ्री हो तो... क्या आप इधर मेरे पुलिस स्टेशनमें आ सकते हो?... मेरे पास इस केसके बारेमें कुछ महत्वपुर्ण जानकारी है... शायद आपके काम आयेगी..''

'' ठिक है ... कोई बात नही .. '' कहते हूए बगल से गुजर रहे लडकेको सामान उठानेका इशारा करते हूए सॅमने कहा.

सॅमने बेकरसे फोनपर मिलनेका वक्त वगैरे सब तय किया और वह सामान उठाकर ले जा रहे लडकेके साथ वापस हो लिया.


क्रमश:...

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Hindi Novel - अद्-भूत : Ch-7 : रोनाल्ड पार्कर

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रोनाल्ड पार्कर, उम्र पच्चीस के आसपास, स्टायलीस्ट, रुबाबदार, अपने बेडरुमें सोया था. वह रह रहकर बेचैनीसे अपनी करवट बदल रहा था. इससे ऐसा लग रहा था की आज उसका दिमाग कुछ जगहपर नही था. थोडी देर करवट बदलकर सोनेकी कोशीश करनेके बादभी उसे निंद नही आ रही थी यह देखकर वह बेडसे उठकर बाहर आ गया, इधर उधर एक नजर दौडाई, और फिरसे बेडपर जाकर बैठ गया. उसने बेडके बगलमें रखा एक मॅगझीन उठाया और उसे खोलकर पढते हूए फिरसे बेडपर लेट गया. वह उस मॅगझीनके पन्ने, जिसपर लडकियोंकी नग्न तस्वीरे छपी थी, पलटने लगा.

सेक्स इज द बेस्ट वे टू डायव्हर्ट यूवर माईंन्ड ...

उसने सोचा. अचानक दुसरे कमरेसे 'धप्प' ऐसा कुछ आवाज उसे सुनाई दिया. वह चौंककर उठ बैठा , मॅगॅझीन बगलमें रख दिया और वैसीही डरे सहमे हालमें वह बेडसे निचे उतर गया.

यह कैसी आवाज .....

पहले तो कभी नही आई थी ऐसी आवाज... .

लेकिन आवाज आनेके बाद मै इतना क्यो चौक गया...

या हो सकता है आज अपनी मनकी स्थीती पहलेसेही अच्छी ना होनेसे ऐसा हूवा होगा...

धीरे धीरे इधर उधर देखते हूए वह बेडरुमके दरवाजेके पास गया. दरवाजेकी कुंडी खोली और धीरेसे थोडासा दरवाजा खोलकर अंदर झांककर देखा.

सब घरमें ढुंढनेके बाद रोनाल्डने हॉलमें प्रवेश किया. हॉलमें घना अंधेरा था. हॉलमेंका लाईट जलाकर उसने डरते हूएही चारो तरफ एक नजर दौडाई.

लेकिन कुछभीतो नही...

सबकुछ वहीका वही रखा हूवा ...

उसने फिरसे लाईट बंद किया और किचनकी तरफ निकल पडा.

किचनमेंभी अंधेरा था. वहांका लाईट जलाकर उसने चारोतरफ एक नजर दौडाई. अब उसका डर काफी कम हो चूका था. .

कहा कुछ तो नही ...

इतना डरनेकी कुछ जरुरत नही थी... .

वह पलटनेके लिए मुडनेही वाला था की किचनमें सिंकमें रखे किसी चिजने उसका ध्यान आकर्षीत किया. उसकी आंखे आश्चर्य और डर की वजहसे बडी हूई थी. एक पलमें इतने ठंडमेंभी उसे पसिना आया था. हाथपैर कांपनए लगे थे. उसके सामने सिंकमें खुनसे सना एक मांसका टूकडा रखा हूवा था. एक पलकाभी समय ना गंवाते हूए वह वहा से भाग खडा हूवा. क्या किया जाए उसे कुछ सुझ नही रहा था. गडबडाये और घबराये हूए हालमें वह सिधा बेडरुममे भाग गया और उसने अंदरसे कुंडी बंद कर ली थी.


क्रमश:...

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hindi sahitya - अद्-भूत Ch-6 : दहशत

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डिटेक्टीव्ह सॅम और उसका एक साथी कॅफेमें बैठे थे. उनमें कुछतो गहन चर्चा चल रही थी. उनके हावभावसे लग रहा था की शायद वे हालहीमें हूए दो खुनके बारेमे चर्चा कर रहे होंगे. बिच बिचमें दोनोभी कॉफीके छोटे छोटे घुंट ले रहे थे. अचानक कॅफेमें रखे टिव्हीपर चल रही खबरोंने उनका ध्यान आकर्षीत किया.
डिटेक्टीवने जितोड कोशीश की थी की प्रेस हालहीमें चल रहे खुनको जादा ना उछाले. लेकिन उनके लाख कोशीशके बादभी मेडीयाने जानकारी हासिल की थी. आखिर डिटेक्टीव्ह सॅमकोभी कुछ मर्यादाए थी. वे एक हद तक ही बातें मिडीयासे छुपा सकते है. और कभी कभी जिस बातको हम छुपाना चाहते है उसीकोही जादा उछाला जाता है.
टीव्ही न्यूज रिडर बोल रहा था - '' कातिलने कत्ल किए और एक शक्स की लाश आज तडके पुलिसको मिली. जिस तरहसे और जिस बर्बरतासे पहला खुन हुवा था उसी बर्बरतासे या यूं कहीए उससेभी जादा बर्बतासे .. इस शक्सकोभी मारा गया. इससे कोईभी इसी नतीजेपर पहूंचेगा की इस शहरमें एक खुला सिरीयल किलर घुम रहा है.... हमारी सुत्रोंने दिए जानकारीके हिसाबसे दोनोभी शव ऐसे कमरेंमे मिले की जो जब पुलिस पहुंची तब अंदरसे बंद थे. पुलिसको जब इस बारेंमे पुछा गया तो उन्होने इस मसलेपर कुछभी टिप्पनी करनेसे इनकार किया है. जिस इलाकेमें खुन हुवा वहा आसपासके लोग अब भी इस भारी सदमेंसे उभर नही पाये है. और शहरमेंतो सब तरफ दहशतका मौहोल बन चूका है. कुछ लोगोंके कहे अनुसार जिन दो शक्स का खुन हूवा है उनके नामपर गंभीर गुनाह दाखिल है. इससे एक ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है की जो भी खुनी हो वह गुनाहगारोंकोही सजा देना चाहता है. इसकी वजहसे कुछ आम लोग तो कातिलकी वाहवा कर रहे है...''
'' अगर खुनीको मिडीया अटेंशन चाहिए था तो वह उसमें कामयाब हो चूका है .. हमने लाख कोशीश की लेकिन आखिर कबतक हमभी प्रेससे बाते छुपा पाएंगे'' डिटेक्टीव्ह सॅमने अपने साथीसे कहा. लेकिन सामने बैठा ऑफिसर कुछभी बोला नही. क्योंकी अबभी वह खबरें सुननेंमे व्यस्त था.
जोभी हो यह सब जानकारी अपने डिपार्टमेंटके लोगोंनेही लिक की है...
लेकिन अब कुछभी नही किया जा सकता है...
एक बार धनुष्यसे छूटा तिर वापस नही लाया जा सकता है..
सॅम सोच रहा था. फिर और एक विचार सॅमके दिमागमें चमका -
कही ये अपने सामने बैठेवाला ऑफिसर तो नही... जो सब जानकारीयां लिक कर रहा हो...
सॅम एक अजिब नजरसे उसकी तरफ देख रहा था. लेकिन वह अबभी टिव्हीकी खबरें सुननेमें व्यस्त था.
शहरमें सब तरफ सारी दशहत फैल चूकी थी.
एक सिरीयल किलर शहरमें खुला घुम रहा है....
पुलिस अबभी उसको पकडनेमे नाकामयाब ...
वह और कितने कत्ल करनेवाला है? ...
उसका अगला शिकार कौन होगा?..
और वह लोगोंको क्यो मार रहा है ?...
कुछ कारणवश या युंही ?...
इन सारे सवालोंके जवाब किसीके पासभी नही थे.
क्रमश:...

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Ch-5 : मांस का टूकडा ( hindi sahitya - अद्-भूत ) Hindi

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बाहर एक कॉलनीके प्लेग्राऊंडपर छोटे बच्चे खेल रहे थे. इतनेमें कर्कश आवाजमें सायरन बजाती हूई एक पुलिसकी गाडी वहांसे, बगलके रास्तेसे तेजीसे गुजरने लगी. सायरनका कर्कश आवाज सुनतेही कुछ खेल रहे छोटे बच्चे घबराकर अपने अपने मां बापकी तरफ दौड पडे. पुलिसकी गाडी आयी उसी गतिमें वहांसे गुजर गई और सामने एक मोड पर दाई तरफ मुड गई.
पुलिसकी गाडी सायरन बजाती हूई एक मकानके सामने आकर रुक गई. गाडी रुके बराबर डिटेक्टीव्ह सॅमके नेतृत्वमें एक पुलिसका दल गाडीसे उतरकर मकानकी तरफ दौड पडा.
'' तुम लोग जरा मकानके आसपास देखो...'' सॅमने उनमेंके अपने दो साथीयोंको हिदायत दी. वे दोनो बाकी साथीयोंको वही छोडकर एक दाई तरफसे और दुसरा बाई तरफसे इधर उधर देखते हूए मकानके पिछवाडे दौडने लगे. बाकीके पुलिस और सॅम दौडकर आकर मकानके मुख्य द्वारके सामने इकठ्ठा होगए. उसमेंके एकने , जेफने बेलका बटन दबाया. बेल तो बज रही थी लेकिन अंदर कुछ भी आहट नही सुनाई दे रही थी. थोडी देर राह देखकर जेफने फिरसे बेल दबाई. , इसबार दरवाजा भी खटखटाया.
'' हॅलो ... दरवाजा खोलो.. '' किसीने दरवाजा खटखटाते हूए अंदर आवाज दी.
लेकिन अंदर कोई हलचल या आहट नही थी. आखिर चिढकर सॅमने आदेश दिया , '' दरवाजा तोडो ''
जेफ और और एक दो साथी मिलकर दरवाजा जोर जोरसे ठोक रहे थे.
'' अरे इधर धक्का मारो''
'' नही अंदरकी कुंडी यहा होनी चाहिए... यहां जोरसे धक्का मारो ''
'' और जोरसे ''
'' सब लोग सिर्फ दरवाजा तोडनेमें मत लगे रहो ... कुछ लोग हमें गार्ड भी करो ''
सब गडबडमें आखिर दरवाजा धक्के मार मारकर उन्होने दरवाजा तोड दिया.
दरवाजा तोडकर दलके सब लोग घरमें घुस गए. डिटेक्टीव्ह सॅम हाथमें बंदूक लेकर सावधानीसे अंदर जाने लगा. उसके पिछे पिछे हाथमें बंदूक लेकर बाकी लोग एकदुसरेको गार्ड करते हूए अंदर घुसने लगे. अपनी अपनी बंदूक तानकर वे सब लोग तुरंत घरमें फैलने लगे. लेकिन हॉलमेंही एक विदारक दृष्य उनका इंतजार कर रहा था. जैसेही उन्होने वह दृष्य देखा, उनके चेहरेका रंग उड गया था. उनके सामने सोफेपर पॉल गीरा हूवा था, गर्दन कटी हूई, सब चिजे इधर उधर फैली हूई, उसकी आंखे बाहर आई हूई थी, और सर एक तरफ ढूलका हूवा था. उसकाभी खुन उसी तरहसे हूवा था जिस तरहसे स्टिव्हनका. सारी चिजे इधर उधर फैली हूई थी इससे यह प्रतित हो रहा था की यह भी मरने के पहले बहुत तडपा होगा.
'' घरमें बाकी जगह ढुंढो '' सॅमने आदेश दिया.
टीमके तिनचार मेंबर्स मकानमें कातिलको ढूंढनेके लिए इधर उधर फैल गए.
'' बेडरुममेंभी ढूंढो '' सॅमने ने जाने वालोंको हिदायद दी.
डिटेक्टीव्ह सॅमने कमरेंमे चारो तरफ एक नजर दौडाई. सॅमको टिव्हीके स्क्रिनपर बहकर निचेकी ओर गई खुनकी लकीर और उपर रखा हूवा मांसका टूकडा दिख गया. सॅमने इन्व्हेस्टीगेशन टीमके एक मेंबर को इशारा किया. वह तुरंत टिव्हीके पास जाकर वहा सबूत इकठ्ठा करनेमें जूट गया. बादमें सॅमने हॉलकी खिडकीयोंकी तरफ देखा. इसबार भी सारी खिडकीयां अंदरसे बंद थी. अचानक सोफेपर गीरे किसी चिजने सॅमका ध्यान खिंच लिया. वह वहा चला गया, जो था वह उठाकर देखा. वह एक बालोंका गुच्छा था, सोफेपर बॉडीके बगलमें पडा हूवा. वे सब लोग आश्चर्यसे कभी उस बालोंके गुच्छेकी तरफ देखते तो कभी एक दुसरेकी तरफ देखते. इन्व्हेस्टीगेशन टीमके एक मेंबरने वह बालोंका गुच्छा लेकर प्लास्टीकके बॅगमें आगेकी तफ्तीशके लिए सिलबंद किया. जेफ गडबडाया हूवा कभी उस बालोंके गुच्छेको देखता तो कभी टिव्हीपर रखे उस मांसके टूकडेकी तरफ. उसके दिमागमें... उसकेही क्यों बाकी लोगोंके दिमागमेंभी एक ही समय काफी सारे सवाल मंडरा रहे थे. लेकिन पुछे तो किसको पुछे?
क्रमश:...

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Ch-4 : पॉल रॉबर्टस ( hindi sahitya - अद्-भूत ) Hindi

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पॉल रॉबर्टस, काला रंग, उम्र पच्चीसके आसपास , लंबाई पौने छे फुट, घुंगराले बाल, अपने बेडरुममें सोया था. उसकी बेडरुम मतलब एक कबाडखाना था जिसमें इधर उधर फैला हूवा सामान, न्यूज पेपर्स, मॅगेझीन्स, व्हिस्कीकी खाली बोतले वह भी इधर उधर फैली हूई. मॅगेझीनके कव्हरपर जादातर लडकियोंकी नग्न तस्वीरें दिख रही थी. और बेडरुमकी सारी दिवारे उसके चहती हिरोइन्स की नग्न, अर्धनग्न तस्वीरोसे भरी हूई थी. स्टीव्हनके और पॉलके बेडरुममे काफी समानता थी. फर्क सिर्फ इतनाही था की पॉलके बेडरुमको दो खिडकियां थी और वह भी अंदरसे बंद. और बंद रुम एसी थी इसलिए नही तो शायद सावधानीके तौर थी. वह अपने जाडे, मुलायम, रेशमी गद्दीपर वैसाही जाडा, मुलायम, रेशमी तकीया सिनेसे लिपटाकर बारबार करवट बदल रहा था. शायद वह डिस्टर्ब्ड होगा. काफी समयतक उसने सोनेका प्रयास किया लेकिन उसे निंद नही आ रही थी. आखिर करवट बदल बदलकरभी निंद नही आ रही थी इसलिए वह बेडके निचे उतर गया. पैरमें स्लिपर चढाई.

क्या किया जाए ? ...

ऐसा सोचकर पॉल किचनकी तरफ चला गया. किचनमें जाकर किचनचा लाईट जलाया. फ्रीजसे पाणीकी बोतल निकाली. बडे बडे घुंट लेकर उसने एकही झटकेमें पुरी बोतल खाली कर दी. फिर वह बोतल वैसीही हाथमें लेकर वह किचनसे सिधा हॉलमें आया. हॉलमें पुरा अंधेरा छाया हूवा था. पॉल अंधारेमेही एक कुर्सीपर बैठ गया.

चलो थोडी देर टिव्ही देखते है ...

ऐसा सोचकर उसने बगलमें रखा हूवा रिमोट लेकर टिव्ही शुरु किया. जैसेही उसने टीव्ही शुरु किया डरके मारे उसके चेहरेका रंग उड गया, सारे बदनमें पसिने छुटने लगे, और उसके हाथपैर कांपने लगे. उसके सामने अभी अभी शुरु हूए टिव्हीके स्क्रिनपर एक खुनकी लकीर बहते हूए उपरसे निचेतक आयी थी. गडबडाकर वहं एकदम खडाही हूवा, और वैसेही घबराये हूये हालतमें उसने कमरका बल्ब जलाया.

कमरेंमे तो कोई नही है....

उसने टीव्हीकी तरफ देखा. टिव्हीके उपर एक मांस का टूटा हूवा टूकडा था और उसमेंसे अभीभी खुन बह रहा था.

चलते, लडखडाते हूए वह टेलीफोनके पास गया और अपने कपकपाते हाथसे उसने एक फोन नंबर डायल किया.

क्रमश:...

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Ch-3 : पोस्टमार्टम रिपोर्ट ( hindi Novels - अद्-भूत ) Hindi Sahitya

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डिटेक्टीव्ह सॅम अपने पुलिस स्टेशनमें अपने ऑफीसमें बैठा था. उतनेमें एक ऑफीसर वहा आ गया. उसने पोस्टमार्टमके कागजात सॅमके हाथमें थमा दीये. जब सॅम वह कागजात उलट पुलटकर देख रहा था वह ऑफिसर उसके बगलमें बैठकर सॅमको इन्वेस्टीगेशनके बारेमें और पोस्टमार्टमके बारेमें जानकारी देने लगा.

" मौत गला कटनेसे हूई है, और गला जब काटा गया तब स्टीव्हन शायद निंदमें होगा ऐसा इसमें लिखा है लेकिन कातिलने कौनसा हथीयार इस्तेमाल किया गया होगा इसका कोई पता नही चल रहा है. " वह ऑफिसर जानकारी देने लगा. .

" ऍ़मॅझींग ?" डिटेक्टीव सॅम मानो खुदसेही बोला.

'' और वहा मीले बालोंका क्या ?''

'' सर हमने उसकी जांच की ... लेकिन वे बाल आदमीके नही है ''

'' क्या आदमीके नही ? ...''

'' फिर शायद किसी भूतके होंगे... .'' वहां आकर उनके बातचीतमें घुसते हूए एक ऑफिसरने मजाकमें कहा.

भलेही उसने वह बात मजाकमें कही हो लेकिन वे एकदुसरेके मुंहको ताकते हूए दोतीन पल कुछभी नही बोले . कमरेमे एक अजीब अनैसर्गीक सन्नाटा छाया हूवा था.

'' मतलब वह कातिलके कोट के या जर्कीनके हो सकते है...'' सॅमके बगलमें बैठा ऑफिसर बात को संभालते हूए बोला.

'' और उसके मोटीव्हके बारेमें कुछ जानकारी ?''

'' घरकी सारी चिजे तो अपने जगह पर थी... कुछ भी किमती सामान चोरी नही गया है ... और घरमें कहीभी स्टीव्हनके हाथके और उंगलीयोंके निशानके अलावा और किसीकेभी हाथके या उंगलीयोंके निशान नही मिले... '' ऑफिसरने जानकारी दी.

'' अगर कातील भूत हो तो उसे किसी मोटीव्हकी क्या जरुरत?'' फिरसे वहां खडे अफसरने मजाकमें कहा.

फिर दो तीन पल सन्नाटेमें गए.

'' देखो ऑफिसर ... यहा सिरीयस मॅटर चल रहा है... आप कृपा करके ऐसी फालतू बाते मत करो...'' सॅमने उस अफसरको ताकीद दी.

'' मैने स्टीव्हनकी फाईल देखी है ... उसका पहलेका रेकॉर्ड कुछ उतना अच्छा नही... उसके खिलाफ पहलेसेही बहुत सारे गुनाहोके लिए मुकदमें दर्ज है... कुछ गुनाह साबीतभी हूए है और कुछपर अबभी केसेस जारी है... इससे ऐसा लगता है की हम जो केस हॅन्डल कर रहे है वह कोई आपसी दुष्मनी या रंजीशकी हो सकती है....'' सॅम फिरसे असली बात पर आकर बोला.

'' कातिलने अगर किसी गुनाहगारकोही मारा हो तो... '' बगलमें खडे उस ऑफिसरने फिरसे मजाक करनेके लिए अपना मुंह खोला तो सॅमने उसके तरफ एक गुस्सेसे भरा कटाक्ष डाला.

'' नही मतलब अगर वैसा है तो... अच्छाही है ना... एक तरहसे वह अपनाही काम कर रहा है... शायद जो काम हमभी नही कर पाते वह काम वह कर रहा है '' वह मजाक करनेवाला ऑफिसर अपने शब्द तोलमोलकर बोला.

'' देखो ऑफिसर ... हमारा काम लोगोंकी सेवा करना और उनकी हिफाजत करना है...''

'' गुनाहगारोंकीभी ?'' उस ऑफिसरने व्यंगात्मक ढंगसे कडवे शब्दोमें पुछा.

इसपर सॅम कुछ नही बोला. या फिर उसपर बोलनेके लिए उसके पास कुछ लब्ज नही थे. .

क्रमश:...

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Ch-2 : सबूत ( hindi upanyas - अद्-भूत ) Hindi

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सुबह सुबह रास्तेपर लोगोंकी अपने अपने कामपर जानेकी जल्दी चल रही थी. इसलिए रास्तेपर काफी चहलपहल थी. ऐसेमें अचानक एक पुलिसकी गाडी उस भिडसे दौडने लगी. आसपासका माहौल पुलिसके गाडीके सायरनकी वजहसे गंभीर हो गया. रास्तेपर चलरहे लोक तुरंत उस गाडीको रस्ता दे रहे थे. जो पैदल चल रहे थे वे उत्सुकतासे और अपने डरे हूए चेहरेसे उस जाती हूई गाडीकी तरफ मुड मुडकर देख रहे थे. वह गाडी निकल जानेके बाद थोडी देर माहौल तंग रहा और फिर फिरसे पहले जैसा नॉर्मल होगया.


एक पुलिसका फोरेन्सीक टीम मेंबर बेडरुमके खुले दरवाजेके पास कुछ इन्वेस्टीगेशन कर रहा था. वह उसके पास जो बडा जाडा लेन्स था उसमेंसे जमीनपर कुछ मिलता है क्या यह ढुंढ रहा था. उतनेमें एक अनुशासनमे चल रहे जुतोंका 'टाक टाक' ऐसा आवाज आगया. वह इन्व्हेस्टीगेशन करनेवाला पलटकर देखनेके पहलेही उसे कडे स्वरमें पुछा हूवा सवाल सुनाई दिया '' बॉडी किधर है ? ''

'' सर इधर अंदर ..'' वह टीम मेंबर अदबके साथ खडा होता हूवा बोला.

डिटेक्टीव सॅम व्हाईट, उम्र साधारण पैंतिस के आसपास, कडा अनुशासन, लंबा कद, कसा हूवा शरीर , उस टीममेंबरने दिखाए रास्तेसे अंदर गया.

डिटेक्टीव सॅम जब बेडरुममें घुस गया तब उसे स्टीवनका शव बेडपर पडा हूवा मिल गया. उसकी आखें बाहर आयी हूई और गर्दन एक तरफ ढूलक गई हूई थी. बेडपर सबतरफ खुन ही खुन फैला हूवा था. उसका गला काटा हूवा था. बेडकी स्थीतीसे ऐसा लग रहा था की मरनेके पहले स्टीव्हन काफी तडपा होगा. डिटेक्टीव सॅमने बेडरुममें चारो तरफ अपनी नजर दौडाई. फोरेन्सीक टीम बेडरुममेंभी तफ्तीश कर रही थी. उनमेंसे एक कोनेमें ब्रशसे कुछ साफ करने जैसा कुछ कर रहा था तो दुसरा कमरेंमे अपने कॅमेरेसे तस्वीरें लेनेमें व्यस्त था.

एक फोरेन्सीक टीम मेंबरने डीटेक्टीव सॅमको जानकारी दी -

" सर मरनेवालेका नाम स्टीव्हन स्मीथ'

' फिंगरप्रींटस वैगेरे कुछ मिला क्या?"

' नही कमसे कम अबतक तो कुछ नही मिला '

डिटेक्टीव सॅमने फोटोग्राफरकी तरफ देखते हूए कहा, '' कुछ छुटना नही चाहिए इसका खयाल रखो''

'' यस सर '' फोटोग्राफर अदबके साथ बोला.

अचानक सॅमका ध्यान एक अजीब अप्रत्याशीत बात की तरफ आकर्षीत हूवा .

वह बेडरुमके दरवाजेके पास गया. दरवाजेका लॅच और आसपासकी जगह टूटी हूई थी.

'' इसका मतलब खुनी शायद यह दरवाजा तोडकर अंदर आया है '' सॅमने कहा.

जेफ, लगभग पैतीसके आसपास, छोटा कद, मोटा, उसका टीम मेंबर आगे आया, '' नही सर, असलमें यह दरवाजा मैने तोडा... क्योंकी हम जब यहां पहूंचे तब दरवाजा अंदरसे बंद था. ''

'' तुमने तोडा ?'' सॅमने आश्चर्यसे कहा.

'' यस सर''

'' क्या फिरसे अपने पहलेके धंदे शुरु तो नही किये ?'' सॅमने मजाकमें लेकिन चेहरेपर वैसा कुछ ना दिखाते हूए कहा.

'' हां सर ... मतलब नही सर''

सॅमने पलटकर एकबार फिरसे कमरेमें अपनी पैनी नजर दौडाई, खासकर खिडकीयोंकी तरफ देखा. बेडरुमको एकही खिडकी थी और वहभी अंदरसे बंद थी. वह बंद रहना लाजमी था क्योंकी रुम एसी थी.

'' अगर दरवाजा अंदरसे बंद था ... और खिडकीभी अंदरसे बंद थी ... तो फिर कातिल कमरेमें कैसे आया... ''

सब लोग आश्चर्यसे एकदुसरेकी तरफ देखने लगे.

'' और सबसे महत्वपुर्ण बात की वह अंदर आनेके बाद बाहर कैसे गया?'' जेफने कहा.

डिटेक्टीव्हने उसकी तरफ सिर्फ घुरकर देखा.

अचानक सबका खयाल एक इन्वेस्टीगेटींग ऑफिसरने अपनी तरफ खिंचा. उसको बेडके आसपास कुछ बालोंके टूकडे मिले थे.

'' बाल? ... उनको ठिकसे सिल कर आगेके इन्व्हेस्टीगेशनके लिए लॅबमें भेजो ' सॅमने आदेश दिया.

क्रमश:...

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Ch-1 : चिख ( hindi novel - अद्-भूत ) Hindi

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घना अंधेरा और उपरसे उसमें जोरोसे बरसती बारीश. सारा आसमंत झिंगुरोंकी 'किर्र' आवाजसे गुंज रहा था. एक बंगलेके बगलमें खडे एक विशालकाय वृक्षपर एक बारीशसे भिगा हूवा उल्लू बैठा हूवा था. उसकी इधर उधर दौडती नजर आखीर सामने बंगलेके एक खिडकीपर जाकर रुकी. वह बंगलेकी ऐकलौती ऐसी खिडकी थी की जिससे अंदरसे बाहर रोशनी आ रही थी. घरमें उस खिडकीसे दिख रहा वह जलता हुवा लाईट छोडकर सारे लाईट्स बंद थे. अचानक वहा उस खिडकीके पास आसरेके लिए बैठा कबुतरोंका एक झुंड वहांसे फडफडाता हूवा उड गया. शायद वहां उन कबुतरोंको कोई अदृष्य शक्तीका अस्तीत्व महसुस हूवा होगा. खिडकीके कांच सफेद रंगके होनेसे बाहरसे अंदरका कुछ नही दिख रहा था. सचमुछ वहा कोई अदृष्य शक्ती पहूंच गई थी ? और अगर पहूंची थी तो क्या उसे अंदर जाना था? लेकिन खिडकी तो अंदर से बंद थी.


बेडरुममें बेडपर कोई सोया हूवा था. उस बेडवर सोए सायेने अपनी करवट बदली और उसका चेहरा उस तरफ हो गया. इसलिए वह कौन था यह पहचानना मुश्कील था. बेडके बगलमें एक ऐनक रखी हूई थी. शायद जो भी कोई सोया हूवा था उसने सोनेसे पहले अपनी ऐनक निकालकर बगलमें रख दी थी. बेडरुममे सब तरफ दारुकी बोतलें, दारुके ग्लास, न्यूज पेपर्स, मासिक पत्रिकाएं इत्यादी सामान इधर उधर फैला हूवा था. बेडरुमका दरवाजा अंदरसे बंद था और उसे अंदरसे कुंडी लगाई हूई थी. बेडरुमको सिर्फ एकही खिडकी थी और वहभी अंदरसे बंद थी - क्योंकी वह एक एसी रुम थी. जो साया बेडपर सोया था उसने फिरसे एकबार अपनी करवट बदली और अब उस सोए हुए साएका चेहरा दिखने लगा. स्टीव्हन स्मीथ, उम्र लगभग पच्चीस छब्बीस, पतला शरीर, चेहरेपर कहीं कहीं छोटे छोटे दाढीके बाल उगे हूए, आंखोके आसपास ऐनककी वजहसे बने काले गोल गोल धब्बे. वह कुछतो था जो धीरे धीर स्टीव्हनके पास जाने लगा. अचानक निंदमेंभी स्टीव्हनको आहट हूई और वह हडबडाकर जग गया. उसके सामने जो भी था वह उसपर हमला करनेके लिए तैयार होनेसे उसके चेहरेपर डर झलक रहा था, पुरा बदन पसिना पसिना हुवा था. वह अपना बचाव करनेके लिए उठने लगा. लेकिन वह कुछ करे इसके पहलेही उसने उसपर, अपने शिकारपर हमला बोल दिया था. पुरे आसमंतमें स्टीव्हनकी एक बडी, दर्दनाक, असहाय चिख गुंजी. और फिर सब तरफ फिरसे सन्नाटा छा गया ... एकदम पहले जैसा...


क्रमश:...

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Hindi Songs

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अल्बम - आम्ही पुणेरी
(Officially launched by Padmashree A।R.Rahman (The legendary Music Composer ) on 4th May 2006 @ 8PM;)
संगीत - प्रशांत
गीत - सुनिल डोईफोडे

1. दूर...
(A Hindi Song for todays youth )
स्वर - प्रिती, संजय और कोरस
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2. मंजूळ झुळझुळ
(A Marathi Romantic Number)
स्वर - विनिता

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Hindi Novels - अगला उपन्यास अद-भूत (Horror, Suspense, thiller) अब इस ब्लॉगपर शुरू होगा.

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यह उपन्यास मेरे अंग्रेजी स्क्रिनप्ले 'लॅच्ड' (Horror, Suspense, thiller) पर आधारीत है. यह स्किनप्ले फिल्म रायटर्स असोसिएशन, (FWA) यहां पंजीकृत किया गया है। यह उपन्यास मराठी मे पहलेही शुरू किया जा चुका है ।

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'शून्य' - (Shunya) Hindi Suspense Thriller Complete Novel

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Ch-1:हैप्पी गो अनलकी
Ch-2 आसमान गिर पड़ा
Ch-3 वर्ल्ड अंडर अंडरवर्ल्ड
Ch-4 : वह कहाँ गई?
Ch-5 : दिल विल...
Ch-6 : ब्लैंक मेल
Ch-7 : दिल है कि ...
Ch-8 : और एक ? ...
Ch-9A : पहली गलती ? ...
Ch-9B : पहली गलती ? ...
Ch-10: माय गॉड ...
Ch-11: गद्दार ...
Ch-12A: फर्स्ट डेट ...
Ch-12B: फर्स्ट डेट ...
Ch-13: शुन्यकी तस्वीर... ...
Ch-14: पिछा ...
Ch-15: क्या हूवा? ...
Ch-16: मधूर मिलन ...
Ch-17: बॉसका फोन ...
Ch-18: कमांड2की चाल ...
Ch-19: चाल फंसी? ...
Ch-20: बॉसका मेसेज. ...
Ch-21: जॉनके बॉसकी व्हीजीट.. ...
Ch-22: डिटेक्टीव्ह
Ch-23: हॅपी बर्थ डे
Ch-24: मिस उटीन हॉपर
Ch-25: घात प्रतिघात
Ch-26: ऋषी
Ch-27: तफ्तीश
Ch-28: रेड
Ch-29: बॉसका फोन
Ch-30A: प्रेस कॉंन्फरंन्स
Ch-30B: प्रेस कॉंन्फरंन्स
Ch-31: पॉलीटीक्स
Ch-32: व्हॅकेशन
Ch-33: एक धागा
Ch-34A: फिशींग
Ch-34B: फिशींग
Ch-35: चार घंटे उधार

Ch-36: प्रपोज
Ch-37: चांदनी रात
Ch-38: डीटेक्टीव्ह का फोन
Ch-39: छुट्टीमें व्यवधान
Ch-40: डिटेक्टीव ऍलेक्स
Ch-41: मेडीयाके साथ पाला
Ch-42: शुन्यकी खोज किसने की ?
Ch-43: फिरसे प्रेस कॉन्फरन्स
Ch-44: एक तिर दो निशाने
Ch-45: आय ऍम सॉरी
Ch-46: गुगल सर्च
Ch-47: यस्स !
Ch-48: ओके देन कॉल द मिटींग
Ch-49A: मिटींग
Ch-49B: मिटींग
Ch-49C: मिटींग
Ch-50A: ऑडीओ
Ch-50B: ऑडीओ
Ch-51: आग भडक उठी
Ch-52: ब्रम्ह है परिपूर्ण
Ch-53: वाय स्टार
Ch-54: हिलव्ह्यू अपार्टमेंट
Ch-55: दिवारपर लिखा आखरी मेसेज
Ch-56: आखरी शिकार
Ch-57: आखरी शिकार
Ch-58 : यादें
Ch-59A : आर्यभट्ट
Ch-59B : आर्यभट्ट
Ch-60 : देर रात गए
Ch-61 : कंपाऊंड के अंदर
Ch-62 : लता
Ch-63 : रेकॉर्ड डिटेल्स
Ch-64 : डॉ. कयूम खान
Ch-65 : पेपर रोल
Ch-66A : झीरो मिस्ट्री
Ch-66B : झीरो मिस्ट्री
Ch-67A : शुन्यसे शुन्यकी ओर
Ch-67B : शुन्यसे शुन्यकी ओर
- समाप्त -
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Ch-67B : शुन्यसे शुन्यकी ओर ( upanyas - शून्य) Hindi

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शहर पोलीस ब्रांचप्रमुख बाहर बाल्कनीमें बैठे हूए चायका आनंद ले रहा था. .
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कृपया इस उपन्यासके बारेंमे अपनी प्रतिक्रियाएं जरुर लिखें.

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Ch-67A : शुन्यसे शुन्यकी ओर (शून्य-उपन्यास) Hindi

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जॉनकी कार तेज गतिसे रास्तेपर दौड रही थी. कार जैसे जैसे शहरके बाहर जा रही थी वैसे वैसे रास्तेपर यातायात कम होती नजर आ रही थी. .
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' सचमुछ कितना अनोखा है आदमीका जिवन..' वह सोचने लगा. '... शून्यसे आना और आखिर शून्यमेंही विलीन हो जाना'

क्रमश:...

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Ch-66B : झीरो मिस्ट्री (शून्य-उपन्यास) Hindi

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रिपोर्टरोंके सवालोंका तांता शुरु हो गया.

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. जो उसके साथ थे उन पुलिसने उसे उस भिडसे रास्ता बनाते हूए बाहर उसके गाडीतक पहुचनेमें उसकी मदत की.

क्रमश:...

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Ch-66A : झीरो मिस्ट्री (शून्य-उपन्यास) Hindi

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दुसरे दिन अलग अलग हेडींगसे कातिल मिलनेकी खबरे न्यूजपेपरमें आगई.

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 आज पहली बार पूर आत्मविश्वासके साथ वह रिपोर्टरोंके सामने खडा था.

क्रमश:...

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Ch-65 : पेपर रोल (शून्य-उपन्यास) Hindi

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विनय पुरी तैयारीके साथ रात एक बजेके बाद डॉ. कयूम खानके बंगलेके पास आया. .
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 लेकिन उसकी वह ज्ञान हथीयानेकी इच्छा पुरी नही हो सकी थी...

क्रमश:...

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Ch-64 : डॉ. कयूम खान (शून्य-उपन्यास) Hindi

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Hindi Suspense thriller Novel



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कमांड2की यानीकी विनयकी बॉसको ढुंढनेके लिए इस एरियामें यह हमेशाकी चक्कर थी. .
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मुझे सही समय देखकर सब बराबर प्लॅनींग करते हूए अंदर प्रवेश करना पडेगा...

उसने कैसेतो खुदको रोका.

क्रमश:...

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